किताबों के बिजनेस से नहीं बनी बात, तो इस शख्स ने रेतीली जमीन पर डाल दी ये खेती
नरेंद्र गर्वा बीए की डिग्री पूरी करने के बाद काम की तलाश करने लगे. जब अच्छा काम नहीं मिला, तो उन्होंने किशनगढ़ रेनवाल में ही किताबों की दुकान खोल ली. किताबों की इस दुकान से भी नरेंद्र को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था. घर का गुजारा भी मुश्किल से हो पा रहा था, तो उन्होंने कुछ नया काम शुरू करने की सोची.
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